Tuesday, October 27, 2009

इबादत ए दोस्‍त

हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था. मेरी हड्डी वहाँ टूटी, जहाँ हॉस्पिटल बन्द था. मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला, उसका पेट्रोल ख़त्म था. मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया, क्योंकि उसका किराया कम था. मुझे डॉक्टरों ने उठाया, नर्सों में कहाँ दम था. मुझे जिस बेड पर लेटाया, उसके नीचे बम था. मुझे तो बम से उड़ाया, गोली में कहाँ दम था. और मुझे सड़क में दफनाया, क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन था नैनो मे बसे है ज़रा याद रखना, अगर काम पड़े तो याद करना, मुझे तो आदत है आपको याद करने की, अगर हिचकी आए तो माफ़ करना....... ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है कभी दूर तो कभी क़रीब होते है दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है ....... एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर, हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर, मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना, हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर

Monday, May 25, 2009

Hi, I am naveen yadav. I am as the blog tittle.